सावित्रीबाई फुले जयंती पर, हम महिला मुक्ति आंदोलन के नेता और भारत की पहली महिला शिक्षिका को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गाँव में जन्मी, सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों के शिक्षा के लिए एक अथक युद्ध लड़ा, अंत में स्वयं शिक्षित होकर देश की पहली बालिका स्कूल की स्थापना की। उनकी जयंती पर, चलिए सावित्रीबाई फुले के प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी में डूबते हैं।
*मुख्य बातें:*
1. *शिक्षा के प्रति प्रेम:* सावित्रीबाई फुले, लक्ष्मी और खांडोजी नेवासे पाटिल की सबसे छोटी बेटी थीं, एक दलित परिवार में जन्मी थीं। उनकी बचपन से ही शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा थी। किसी दिन, इसे देखकर उनके पिताजी ने उन्हें डांटा और किताब फेंक दी। फिर भी, सावित्रीबाई ने शिक्षा प्राप्त करने का निर्णय किया।
2. *विवाह और शिक्षानिकाश:* नौ वर्ष की आयु में सावित्रीबाई ने ज्योतिराव फुले से विवाह किया, जो उस समय तीसरी कक्षा में थे। शुरूवाती शिक्षा के अंतर्गत, ज्योतिराव ने सावित्रीबाई के शिक्षानिकाश का समर्थन किया, और वह अपने पठनी की शिक्षा की दिशा में आगे बढ़ने में समर्थ हुए।
3. *पहला बालिका स्कूल स्थापना:* 1848 में, अपने पति के समर्थन से सावित्रीबाई फुले ने महाराष्ट्र के पुणे में देश का पहला बालिका स्कूल स्थापित किया। उनके लड़ते-जीतते कार्यों के कारण, उन्हें देश की पहली महिला शिक्षिका का सम्मान प्राप्त हुआ। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके योगदान को मान्यता प्रदान की।
4. *नारी के अधिकारों के लिए क्रियाशीलता:* सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा के परे जाकर अपने पति के साथ विभिन्न सामाजिक आंदोलनों में भाग लिया। उन्होंने जातिवाद, अस्पृश्यता, और महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ लड़ा, और उन्होंने ज्योतिराव फुले द्वारा स्थापित सत्यशोधक समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
5. *विरासत और पहचान:* सावित्रीबाई फुले की विरासत एक सामाजिक सुधारक, कवयित्री, और दार्शनिक की तरह है। उनके प्रेरणादायक प्रयासों ने भारत में महिलाओं के लिए शिक्षा और सशक्तिकरण के मार्ग को खोला है। उनकी आत्मा 10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण शांति प्राप्त कर गई।
*निष्कर्ष:*
सावित्रीबाई फुले जयंती पर, सावित्रीबाई फुले की यात्रा, समस्याओं का सामना करने से लेकर एक शिक्षित और समृद्ध समाज की ओर मार्गदर्शन करने की दिशा में एक प्रेरणा स्रोत है। उनका निर्भीक समर्पण, बाधाओं को पार करने में आगे बढ़ने का मार्गदर्शन करता है। उनकी जयंती पर, चलिए सावित्रीबाई फुले के अद्भुत जीवन की श्रद्धांजलि अर्पित करें और समस्त के लिए समानता और सशक्तिकरण की दृष्टि को आगे बढ़ाने का प्रण लें।